भारतीय दर्शन में कर्मवाद
Jazyk: | Hindi |
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Rok vydání: | 2023 |
Předmět: | |
DOI: | 10.5281/zenodo.7944533 |
Popis: | कर्मवाद की प्रासंगिकता आधुनिक समय में भी ज्वलंत विषय है। हर व्यक्ति स्वार्थवश नैतिक-अनैतिक कर्म करता है फिर उसे तर्क द्वारा अपने हिसाब से सही परिभाषित करता है। भारतीय दर्शन में कर्म व कर्मफल पर विस्तृत विमर्श है, जो संसार को राह दिखाता है और जगत की उत्पत्ति एवं स्थिति, लय को व्यवस्थित रीति से संचालन के लिए तथा सुव्यवस्थित रूप से चलने के लिए-कर्म का सिद्धांत है। |
Databáze: | OpenAIRE |
Externí odkaz: |