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अमरकान्त कहानीकार के रूप में सन 1956 में प्रकाशित, 'कहानी' के वार्षिकांक में प्रकाशित पुरस्कृत कहानी ‘डिप्टी कलक्टरी’ से अपनी पहचान बनाई। वैसे तो अमरकांत जनवादी कहानीकार के रूप में जाने जाते हैं मगर इनकी कहानियाँ वाद की सीमाओं को तोड़ती दिखाई पड़ती है। अमरकान्त की कहानियाँ कुछ पात्रों और स्थिति के माध्यम से देश के मर्म को छुती हुई दिखाई दे रही है। वह देश की स्थिति और उसमें तमाम मुसीबतों से जी रहे निम्नमध्यवर्गीय परिवारों की मार्मिक जिन्दगी को देश के सामने लाने का सफल प्रयास किया है। इनके समकालीन रचनाकारों में धर्मवीर भारती, रेणु, राजेन्द्र यादव, मोहन राकेश, निर्मल वर्मा तथा कमलेश्वर आदि शामिल है। मगर अमरकांत की कहानियाँ, विषय-वस्तु और चित्रित वर्ग आदि में भिन्नता है। वह स्त्री-सौन्दर्य की बात न करके निम्नमध्यवर्गीय परिवारों और देश की यथास्थिति को अपनी कहानियों में रखना ज्यादा उचित समझते हैं। इनकी कहानियों में भारत की असली तस्वीर देखने को मिलती है। |